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ग्वालियर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया है कि आज के समय में सिंध की जमीन भले ही भारत का हिस्सा न हो, लेकिन सभ्यता के हिसाब से वह हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। जहां तक बॉर्डर की बात है, कब बॉर्डर बदल जाए, कौन जानता है? कल सिंध फिर भारत में आ जाए। रक्षा मंत्री का यह बयान कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं, मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने रक्षा मंत्री के बयान पर पलटवार भी किया है।
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा, राजनाथ सिंह देश के रक्षा मंत्री हैं, लेकिन जब कोई इतने बड़े पद पर रहता है, तो हम यह भी चाहते हैं कि वो तथ्यात्मक जानकारी दे। जहां तक सवाल हमारे पड़ोसी देशों का है, ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमें बहुत उम्मीदें थीं कि कहीं न कहीं जो पीओके का क्षेत्र है, उसमें घुसकर हम बहुत कुछ हासिल करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वहीं बार-बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात को दोहराया कि उन्होंने युद्ध रुकवाया।
कांग्रेस विधायक ने की इंदिरा-मोदी के कार्यकाल की तुलना
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना करते हुए कहा, एक इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने विदेशी दबाव को पूरी तरह नकार दिया। आज से करीब 50 साल पहले जब उस समय पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान थे और उन्होंने हम पर वार किया था, और तब भी अमेरिका ने युद्ध रोकने के लिए इंदिरा जी को फोन किया था, लेकिन वे नहीं रुकी। उन्होंने पूर्व पाकिस्तान में अंदर जाकर उस देश को आजाद किया और नया देश बनाया। इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी में यह अंतर है। ऐसे में भाजपा के लोग जो हवाई बातें करते हैं, उसे करके दिखाएं। पिछले 12 साल से देश में उनकी सरकार है, तब क्यों नहीं कर पा रहे हैं?
एसआईआर को लेकर भी भाजपा पर बोला हमला
उन्होंने मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर कहा, एसआईआर में मूल बात यह है कि यह पूरा अभियान जिस समय शुरू हुआ है, यह वही समय है जब अनेक लोग गांव से बाहर मजदूरी के लिए जाते हैं। अब इसमें उन्हें इतना कम समय दिया है कि सिर्फ एक महीने के अंदर ही लोगों को सत्यापन करना है। अनेक लोग हैं जो 2003 के वक्त किसी और राज्य में थे, तो अब उस राज्य में अपना नाम तलाशें।
उन्होंने कहा, मेरी जानकारी में कई लोग हैं, जिनका जन्म 2003 के बाद हुआ, लेकिन उनके माता-पिता का 2003 के पहले का प्रमाण नहीं मिल पा रहा है। कई गांव हैं, जहां 1000 वोटर्स में से 500 लोग बाहर मजदूरी करने गए हैं। वे भी 4 दिसंबर तक वापस नहीं पहुंच पाएंगे। बिना वजह वोटरों को सिर्फ परेशान किया जा रहा है।
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