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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के 8वें दिन यानि सोमवार को वंदे मातरम पर बहस हुई। लोकसभा में चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह केवल एक गीत या राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आजादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया।
पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा, बंकिम दा ने जब वंदे मातरम की रचना की तब स्वाभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का पर्व बन गया। तब पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, श्वंदे मातरम्श् हर भारतीय का संकल्प बन गया। इसलिए वंदे मातरम् की स्तुति में लिखा गया था कि मातृभूमि की स्वतंत्रता की वेदी पर, मोद में स्वार्थ का बलिदान है। यह शब्द वंदे मातरम है। सजीवन मंत्र भी, विजय का विस्तृत मंत्र भी। यह शक्ति का आह्वान है। यह वंदे मातरम है। उष्ण शोणित से लिखो, वत्स स्थली को चीरकर वीर का अभिमान है। यह शब्द वंदे मातरम है।
बंकिम चंद ने अपनी लेखनी से अंग्रेजों को दिया जवाब
पीएम ने बताया कि वंदे मातरम उस समय लिखा गया था, जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार सतर्क थी और हर स्तर पर दबाव और अत्याचार की नीतियां लागू कर रही थी। उस दौर में ब्रिटिश राष्ट्रगान गॉड सेव द क्वीन को हर घर तक पहुंचाने की मुहिम चल रही थी। ऐसे समय में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी लेखनी से जवाब देते हुए वंदे मातरम लिखा और भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की।
वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है वंदे मातरम
प्रधानमंत्री ने कहा, जब हम वंदे मातरम कहते हैं, तो यह हमें वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है। वेदों में कहा गया है कि माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः, अर्थात यह भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूं। यही विचार भगवान राम ने भी व्यक्त किया था, जब उन्होंने कहा कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। आज वंदे मातरम इसी महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक रूप है।
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का मंत्र नहीं था वंदे मातरम् केवल
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम् केवल अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का मंत्र नहीं था, बल्कि यह मातृभूमि की मुक्ति की पवित्र जंग का प्रतीक था। यह गीत उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान का सम्मान करता है जिन्होंने इसे अपने आंदोलन का हिस्सा बनाया।
चुनौतियों से ही राष्ट्र का चरित्र उजागर होता है
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी और जिन जिन के नाम के साथ कांग्रेस जुड़ा है, वो सभी वंदे मातरम पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा किसी भी राष्ट्र का चरित्र चुनौतियों से उजागर होता है। प्रधानमंत्री ने कहा, वंदे मातरम ने करोड़ों देशवासियों को एहसास कराया कि यह लड़ाई किसी जमीन के टुकड़े के लिए नहीं थी। यह सत्ता के सिंहासन को कब्जा करने के लिए नहीं थी। यह गुलामी की बेड़ियों को मुक्त कर हजारों वर्षों की महान संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास के पुनर्जन्म के संकल्प की लड़ाई थी।
कांग्रेस आज भी वंदेमातरम का कर रही विरोध
प्रधानमंत्री ने कहा, अक्तूबर में कोलकाता में हुए फैसले के बाद कांग्रेस पहले वंदे मातरम पर समझौता करने के लिए झुकी इसके बाद देश को बंटवारे का दंश भी झेलना पड़ा। वही कांग्रेस आज भी वंदे मातरम को लेकर विवाद कर रही है। उन्होंने कहा कि समाजिक सद्भाव की आड़ में किए गए फैसले के आधार पर कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया। जिन्ना के विचारों का समर्थन किया गया।
पक्ष-विपक्ष के सांसदों से यह बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने सदन में सभी सांसदों से कहा कि इस अवसर पर पक्ष-प्रतिपक्ष का कोई भेदभाव नहीं है, क्योंकि यह समय है वंदे मातरम के ऋण को स्वीकार करने का, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदानों से पूरा किया। उन्होंने याद दिलाया कि आज भारत में जो लोकतांत्रिक व्यवस्था और आजादी है, वह इसी आंदोलन का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, संसद में बैठे सभी सांसदों के लिए यह अवसर है कि वे इस ऋण को स्वीकार करें और उस पवित्र संघर्ष को याद करें, जिसने हमारी मातृभूमि को स्वतंत्र कराया।
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