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धराली-हर्षिल की तबाही की सामने आई सैटेलाइट इमेज, : तस्वीरों में सब-कुछ दिखा खत्म, नदी ने बदल दिया रास्ता तक

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Author : admin

पब्लिश्ड : 08-08-2025 12:10 PM

अपडेटेड : 08-08-2025 06:40 AM

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में आई बिनाशकारी बाढ़ ने गांवों में भारी तबाही मचाई है। एक ओर जहां हादसे के चार दिन बाद भी कई लोग लापता है, जबकि कई लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं बाढ़ पे घरों, इमारतों, पुलों, सड़कों को तबाह कर दिया है। हालांकि सेना अभी भी मोर्चा संभाले हुए हैं। सेना लापता लोगों की तलाश और फंसे लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा रही है। धराली की तबाही की इसरो ने सैटेलाइट इमेज जारी की है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि बिनाशकारी बाढ़ से धराली और हर्षिल में कितनी बर्बादी हुई है।

इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों में 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मलबा फैला है। नदी का रास्ता पूरी तरह बदला है। कई इमारतें जलमग्न है। और कुछ पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। तस्वीरों में धाराली गांव की तबाही साफ दिख रही है। तबाही को कैमरों में कैद करने के लिए इसरो ने भारत के कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरों का इस्तेमाल किया। उन्होंने 7 अगस्त 2025 (आपदा के बाद) की तस्वीरों को 13 जून 2024 (आपदा से पहले) की तस्वीरों से मिलाकर तुलना की।

फ्लैश फ्लड के निशानः सैटेलाइट तस्वीरों में नदियों के रास्ते चैड़े होने, उनकी शक्ल बदलने और इंसानी जिंदगियों व बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान के सबूत मिले।

धराली में मलबे का ढेरः खीर गाड़ और भागीरथी नदी के मिलन स्थल पर धराली गांव में करीब 20 हेक्टेयर (750 मीटर X 450 मीटर) क्षेत्र में मिट्टी और मलबे का पंखे जैसा जमा हुआ है।

इमारतों का विनाशः कई इमारतें पूरी तरह खत्म हो गईं या मिट्टी के बहाव में डूब गईं। धराली गांव में कई घरों के ऊपर मिट्टी-मलबा जमा हो गया है, जो उन्हें पूरी तरह नष्ट कर चुका है।

राहत में मददः ये तस्वीरें राहत और बचाव कार्यों में मदद कर रही हैं. फंसे लोगों तक पहुंचने और कटी हुई सड़कों को जोड़ने में ये डेटा काम आ रहा है।

5 अगस्त की आपदा: क्या हुआ?

बता दें कि 5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी में भारी बारिश हुई, जिससे धराली और हर्षिल में फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) आ गई। यह बाढ़ इतनी तेज थी कि मिट्टी, पत्थर और मलबे के साथ बहते हुए उसने सब कुछ तबाह कर दिया. घरों के नीचे से जमीन खिसक गई, सड़कें टूट गईं और कई लोग लापता हो गए. इस घटना ने पूरे इलाके को अलग-थलग कर दिया, जिससे राहत कार्य में दिक्कतें आईं।

आपदा स्थल पर राहत-बचाव का काम जारी

आपदा स्थल पर पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, फायर, राजस्व आदि की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं। आपदा ग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों को प्रातः से ही हेली के माध्यम से आईटीबीपी मातली पहुंचाने का सिलसिला निरंतर जारी है। आज प्रातः 9 बजे तक 55 लोगों को आईटीबीपी मातली सिफ्ट किया गया है। सैटेलाइट तस्वीरों से मिली जानकारी से सेना और राहत टीमें फंसे लोगों को ढूंढने और सड़कों को बहाल करने में जुट गई हैं, लेकिन यह घटना हमें चेतावनी देती है कि हिमालय जैसे नाजुक क्षेत्रों में सावधानी बरतनी होगी। अनियोजित निर्माण और जंगल कटाई को रोकना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी तबाही से बचा जा सके।

मौसम में सुधार और फिर खतरा

कल यानी 7 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी और आसपास के इलाकों में मौसम में थोड़ा सुधार हुआ था, जिससे राहत कार्यों को कुछ हद तक आगे बढ़ाया जा सका। लेकिन आज फिर से मौसम विभाग ने मध्यम से तेज बारिश की चेतावनी दी है। यह बारिश राहत और बचाव कार्यों को प्रभावित कर सकती है। बारिश के कारण सड़कों पर कीचड़ और मलबा बढ़ सकता है, जिससे सेना और राहत टीमों को फंसे लोगों तक पहुंचने में दिक्कत होगी। हेलिकॉप्टर उड़ान में भी परेशानी हो सकती है, क्योंकि बादल और बारिश विजिबिलिटी कम कर देंगे. ऐसे में जरूरी है कि राहत टीमें सावधानी बरतें और मौसम के हिसाब से योजना बनाएं।

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