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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उमड़ा भक्तों का रेला : अहमदाबाद में भीड़ देख बेकाबू हुए गजराज, रही राहत की बात
अहमदाबाद। देश के कई जगहों में आज शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है। ओडिशा से लेकर गुजरात तक इसकी धूम देखने को मिल रही है। 12 दिनों तक निकलने वाली रथ यात्रा के पहले दिन ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। इन सके बीच अहमदाबाद के खाड़िया इलाके में निकाली जा रही भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में बडा हादसा हो गया है। रथ यात्रा के दौरान यहां पर एक हाथी बेकाबू हो गया और अपना संतुलन खो दिया। राहत की बात यह रही की कोई बडा हादसा नहीं हुआ।
घटना के बाद, डॉक्टर और वन विभाग की मदद से हाथी को नियंत्रित किया गया. पुलिस ने तुरंत ही लोगों को वहां से हटा दिया और किसी को नुकसान नहीं हुआ। अहमदाबाद पुलिस ने बताया कि अग्निशमन विभाग, डॉक्टर और पुलिस की टीमें मौके पर मौजूद हैं।
गृह मंत्री शाह ने परिवार के साथ की भगवान की पूजा
भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक, खलासी समुदाय द्वारा शहर के जमालपुर क्षेत्र में स्थित जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकाला गया। तीन रथों की भव्य शोभायात्रा 400 साल पुराने मंदिर से शुरू हुई और कुछ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों सहित पुराने शहर से होते हुए रात 8 बजे तक वापस लौटने की उम्मीद है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके परिवार के सदस्यों ने जगन्नाथ मंदिर में सुबह की प्रार्थना में हिस्सा लिया, जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ‘पहिंद विधि’ की, जो सोने की झाड़ू से सड़कों की प्रतीकात्मक सफाई की एक पारंपरिक रस्म है।
यह बोले केन्द्रीय मंत्री शेखावत
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह उत्सव सनातन संस्कृति की प्राचीनता के साथ-साथ उसकी निरंतरता का भी प्रतीक है। कई शताब्दियों से यह उत्सव एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता रहा है, जो भारत के लोगों को एकजुट करता है और दुनिया भर के विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को एक साथ लाता है। इसका प्रमाण हजारों वर्षों के लिखित इतिहास में मिलता है। सौभाग्य से मुझे इस रथ यात्रा में शामिल होने का अवसर मिला है, मुझे भगवान जगन्नाथ प्रभु के दर्शन करने का मौका मिलेगा, लेकिन सबसे बढ़कर मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे यहां पुरी पीठ पर आकर पुरी शंकराचार्य के दर्शन करने, उनका आशीर्वाद लेने, उनका संवाद सुनने का अवसर मिला है।
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