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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 संबोधित किया। वित्त मंत्री ने कहा, आज के दौर में हम निष्क्रिय दर्शक बनकर नहीं रह सकते। हमें सक्रिय भागीदार बनना होगा। राष्ट्रों को नई मौद्रिक संरचना के बीच चुनाव करने होंगे। कोई भी राष्ट्र व्यवस्थागत बदलावों से खुद को अलग नहीं रख सकता, हमें उनसे जुड़ने के लिए तैयार रहना होगा। टैरिफ, प्रतिबंध और अलगाव की रणनीतियां आपूर्ति श्रृंखलाओं को नया रूप दे रही हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री निर्मला ने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक परिस्थितियां अस्थिर बनी हुई हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार करने के नियमों को फिर से लिखा जा रहा है, लेकिन भारत मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था के चलते तेजी से वृद्धि कर रहा है। साथ ही, इससे देश के पास वैश्विक झटकों से निपटने की मजबूत क्षमता विकसित हो गई है। उन्होंने कहा, हम एक ऐसे परिवर्तनशील वैश्विक परिदृश्य में हैं जो जीरो-सम एप्रोच जैसा है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है और निरंतर विकसित हो रही है।
चुनौतियों एक संरचनात्मक परिवर्तन
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, 2047 तक विकसित भारत बनने का मतलब यह नहीं है कि हम एक बंद अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं। हमें विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर हासिल करनी होगी। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि हम जिस चुनौती का सामना कर रहे हैं, वह कोई अस्थायी व्यवधान नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक परिवर्तन है।
बदल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था बदल रही है और वर्तमान में बहुपक्षीय संस्थाओं में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास कमजोर हो रहा है। उन्होंने हाल ही में हुई जी-20 बैठक का हवाला दिया, जहां विशेषज्ञों ने स्थिरता बहाल करने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधारों की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया। भारत के ट्विन -ट्रैक एप्रोच के बारे में बताते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि देश का लक्ष्य 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करना और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का अर्थ बंद अर्थव्यवस्था को अपनाना नहीं है।
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