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हरियाणा-गोवा को मिले नए गवर्नर : कविंदर गुप्ता बने लद्दाख के एलजीः राष्ट्रपति भवन से आदेश जारी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा और गोवा में राज्यपालों और केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में एलजी की नियुक्ति की घोषणा कर दी है। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी कि आदेश के मुताबिक पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा और प्रोफेसर अशीम कुमार घोष हरियाणा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह नियुक्तियां उनके अपने-अपने पदों का कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगी। कविंदर गुप्ता जम्मू कश्मीर में भाजपा के प्रमुख नेता रहे हैं। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में कविंदर गुप्ता को जम्मू कश्मीर का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। इससे पहले वे तीन बार (2005-2010) जम्मू के मेयर रहे। 2 दिसंबर 1959 को जन्मे कविंदर गुप्ता आरएसएस के सदस्य भी रहे हैं, जिससे वे 13 साल की छोटी उम्र में जुड़े थे।
पीए गणपति राजू
तेलुगू देशम पार्टी से ताल्लुक रखने वाले पीए गणपति राजू गृह 2018 से मामलों की स्थायी समिति के सदस्य हैं। इसके अलावा वे 27 मई 2014 से 10 मार्च 2018 तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (नागरिक उड्डयन) रहे। मई 2014 में वे 16वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 1999 से 2004 तक वे आंध्र प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री रहे। 1994 से 1999 तक वे आंध्र प्रदेश सरकार में वाणिज्यिक कर, वित्त एवं विधायी मामलों के कैबिनेट मंत्री रहे। 1985 से 1989 तक वे आंध्र प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री (कैबिनेट मंत्री) रहे। 1983 से 1985 तक वे आंध्र प्रदेश सरकार में वाणिज्यिक कर मंत्री (कैबिनेट मंत्री) रहे। 1978 से 2014 के बीच वे सात बार आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे।
प्रोफेसर अशीम कुमार घोष
प्रो. अशीम कुमार घोष एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद हैं। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 1944 में हावड़ा में जन्मे घोष ने कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में वे कई वर्षों तक राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे। प्रो. घोष 1991 में भाजपा में शामिल हुए। वे 1999 से 2002 तक पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बंगाल में पार्टी की जमीनी स्तर पर उपस्थिति बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 2003 से 2005 तक त्रिपुरा के लिए भाजपा का पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया गया।
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