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महादेव सट्टेबाजी एप की तरह मप्र में सक्रिय ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां : शराब ठेकेदार कालेधन को कर रहे सफेद दिसंबर में महंगाई से मिलेगी राहत! : दिग्गज फाइनेंस कंपनी ने आम आदमी को दी गुड न्यूजइंदौर की लेडी इंस्पेक्टर ने मप्र का नेशनल लेवल पर बढ़ाया मान : राधा ने एशिययन चैंपियनशिप में ब्रांज जीत किया गौरवान्वितश्री सत्य साईं बाबा जन्मशताब्दी समारोह : पीएम ने जारी किया बाबा के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित स्मारक सिक्का-डाक टिकट, कही यह बातसुसाइड बॉम्बिंग को ‘शहादत’ कहना इस्लाम का अपमान : दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी के वीडियो पर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया, शाह पर भी साधा निशाना

महादेव सट्टेबाजी एप की तरह मप्र में सक्रिय ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां : शराब ठेकेदार कालेधन को कर रहे सफेद

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Author : admin

Published : 20-Nov-2025 12:00 AM

भोपाल। छत्तीसगढ़ के महादेव सट्टेबाजी एप की तरह ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां मप्र में सक्रिय हैं। ऑनलाइन गेमिंग एक तरह से सट्टा होता है। इन्हें संचालित करने वाली एजेंसियां, शराब ठेकेदार या समूह के माध्यम से कालेधन को सफेद करने का काम कर रही हैं। ऐसा ही मामला शिवपुरी, इंदौर एवं अन्य जिलों में सामने आ चुका है, लेकिन कोई लिखित शिकायत नहीं होने की वजह से किसी एजेंसी ने जांच नहीं की है।

दरअसल, ऑनलाइन गेमिंग एप एक तरह से सट्टेबाजी का मंच होता है। जो पोकर, कार्ड गेम, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और क्रिकेट सहित अन्य खेल एवं आयोजनों पर अवैध जुआ या सट्टा लगवाते हैं। संबंधित एजेंसी ऑनलाइन गेमिंग से मिले कालेधन को सफेद करने के लिए अलग-अलग खाताधारियों का सहारा लेती हैं। इसके लिए शराब कारोबारी बेहतर विकल्प होते हैं। हाल ही में इंदौर में एक बड़े शराब कारोबारी के साथ हुए विवाद में ऑनलाइन गेमिंग का पैसा खफाए जाने का मामला सामने आया था। इसी तरह शिवपुरी में शराब के धंधे में शामिल एक समूह भी संदिग्ध है। बताया गया कि कुछ साल पहले शिवपुरी पुलिस के पास मामला आया था, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी। भोपाल, सागर, ग्वालियर के भी कुछ शराब कारोबारी भी संदिग्ध हैं।

ऑनलाइन सट्टा कंपनियों का कालाधन शराब के धंधे में लगाने की जानकारी आबकारी विभाग और सरकार के खुफिया विभाग को है। लेकिन आबकारी विभाग सिर्फ शराब बेचकर राजस्व लक्ष्य हासिल करने तक सीमित है। शराब ठेकेदार कहां से किसका पैसा आबकारी विभाग को दे रहा है, इससे विभाग को कोई लेना देना नहीं है। न ही आबकारी विभाग के पास शराब ठेकेदार या समूह का बैंक खाता जांचने का अधिकार है। चूंकि ऐसे मामले में अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई, इसलिए कोई भी एजेंसी जांच में रुचि नहीं लेती हैं। हालांकि आबकारी, पुलिस या अन्य एजेंसियों पर शराब कारोबारियों से मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं। पिछले महीने इंदौर में पूर्व आबकारी अधिकारी के यहां छापों के बाद बड़े-बड़े शराब कारोबारियों के नाम चर्चा में थे, लेकिन जांच एजेंसी ने किसी का नाम नहीं जोड़ा।

सरकारी फंड से उड़ाया था पैसा!

पिछले महीने राजस्थान में केंद्रीय एवं राज्य की एजेंसियों ने ऐसे सायबर ठग समूह को पकड़ा था, जो सरकारी खातों से भी पैसा उड़ाने का काम करता था। केंद्र एवं राज्य सरकार के कई खाते ऐसे हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपए रहता है। ठगों द्वारा सरकारी फंड से कुछ करोड़ रुपए ही ऑनलाइन निकाले जाते थे। बताया गया कि कुछ साल पहले शिवपुरी में ऐसा ही मामला सामने आया था।

शासन स्तर से ऐसे मामलों का कोई एनफोर्समेंट नहीं होता है। न ही ऐसा कोई सिस्टम है।

अमित राठौर, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिककर विभाग मप्र

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