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जगद्गुरु के अंबेडकर पर दिए बयान से उबली सियासत : भड़की मायावती ने चुप रहने तक की दे डाली सलाह, जाने क्या कहा था स्वामी ने

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Author : admin

पब्लिश्ड : 13-09-2025 01:30 PM

अपडेटेड : 13-09-2025 08:00 AM

लखनऊ। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के मनुस्मृति और बाबासाहेब अंबेडकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई है। इसे लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने बिना नाम लिए हुए सलाह दी है कि भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं है। इसलिए उनके बारे में कोई भी गलत बयानबाजी से बचे और चुप रहें तो यह उचित होगा।

बता दें कि एक कार्यक्रम के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि स्मृति देश का पहला संविधान है। उन्होंने यहां तक दावा किया कि मनुस्मृति में ऐसी एक भी लाइन नहीं है जो कि भारतीय संविधान के खिलाफ हो। अंबेडकर साहब अगर संस्कृत जानते तो मनुस्मृति को जलाने की गलती नहीं करते। उनके इस बयान के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया। इसी क्रम में मायावती ने भी रामभद्राचार्य को अपने निशाने पर लिया है।

गलत बयानबाजी करने की बजाय चुप रहना उचित

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि आए दिन सुर्खियों में बने रहने हेतु विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-संतों को परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं है। इनको इस बारे में कोई भी गलत बयानबाजी आदि करने की बजाय, यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा।

महान विद्वान व्यक्तित्व थे बाबा साहेब

मायावती ने आगे कहा कि बाबा साहेब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर जरूर समझना चाहिये। इसके साथ-साथ इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब महान विद्वान व्यक्तित्व थे। इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-संत इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं। अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको जरूर बचना चाहिये, यही नेक सलाह है।

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