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प्रकृति के साथ खिलवाड़ पर सख्त हुआ SC : कुदरत की मार से कराह रहे राज्यों को थमाया नोटिस, दो हफ्ते में मांगा जवाब

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Author : admin

पब्लिश्ड : 04-09-2025 01:47 PM

अपडेटेड : 04-09-2025 08:17 AM

नई दिल्ली। पहाड़ो से लेकर मैदानी इलाकों तक इन दिनों कुदरत का कहर देखने को मिल रहा है। भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने की घटनाओं से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में भीषण तबाही हुई है। इन प्राकृतिक आपदाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई करते हुए अवैध पेड़ कटाई करने वाले राज्यों को नोटिस भी थमाया है। कोर्ट ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की सराकरों को नोटिस जारी कर दो हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई की गई है और यही हालिया आपदा का एक बड़ा कारण हो सकता है। अदालत ने मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हमने हिमाचल प्रदेश के दृश्य देखे, जहां बड़ी संख्या में लकड़ी के गट्ठर बाढ़ में बहते हुए नजर आए। यह अनियंत्रित पेड़ कटाई का संकेत है। वहीं, पंजाब में खेत और गांव तबाह हो गए हैं। विकास जरूरी है, लेकिन वह संतुलित होना चाहिए।

एसजी ने भी मामले की गंभीरता को किया रेखांकित

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मामले की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें उसका जवाब दे रही है। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर वे पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

राज्यों को देना होगा ठोस जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रभावित राज्यों को इस पर ठोस जवाब देना होगा कि बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए और आगे ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए उनकी क्या योजना है। बता दें कि कई राज्यों में हुई बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरीके से प्रभावित है। पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में जलजमाव है। पंजाब में हालात सबसे खराब हैं, जहां पर कई गांवों में पानी भर गया है।

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