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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का सोमवार से आगाज हो गया है। 19 दिसंबर तक चलने वाला यह सत्र भी एसआईआर जैसे मसलों को लेकर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ सकता है। ऐसा पहले ही दिन देखने को मिला। सत्र के पहले ही दिन विपक्षी दल एसआईआर, आंतरिक सुरक्षा और लेबर कोड पर चर्चा कराने की मांग कर डाली है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष को कड़ी नसीहत दी है।
पीएम मोदी ने कहा, संसद का यह शीतकालीन सत्र केवल कोई रिवाज नहीं है। यह देश को विकास की ओर तेजी से बढ़ाने में नई ऊर्जा भरेगा। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। उन्होंने लोकतंत्र की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अपनी लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूती से निभाया है। उन्होंने कहा, भारत ने लोकतंत्र को जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह समय-समय पर स्पष्ट दिखाई देता है, जिससे लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता है।
पराजय की निराशा से निकलना चाहिए विपक्ष को
पीएम मोदी ने हाल ही में बिहार में हुए चुनावों का जिक्र करते हुए इसे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत बताया और इसके साथ ही कहा कि कई दल पराजय के कारण परेशान हैं। विपक्ष को पराजय की निराशा से निकलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे लगा था कि बिहार चुनाव खत्म हुए कुछ समय हो गया है, तो चीजें बदल गई होंगी, लेकिन मैंने उनकी बातें सुनीं और अब मुझे लगता है कि उनकी हार उन्हें अभी भी परेशान कर रही है।
विपक्ष अपना दायित्व निभाए और मजबूत मुद्दे उठाए
पीएम ने कहा, यह सत्र इस बात पर केंद्रित होना चाहिए कि संसद देश के लिए क्या सोचती है और क्या करने वाली है। विपक्ष अपना दायित्व निभाए और मजबूत मुद्दे उठाए। पराजय की निराशा से बाहर आए। उन्होंने कहा कि दुनिया आज भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और उसकी आर्थिक मजबूती को बेहद ध्यान से देख रही है। भारत की अर्थव्यवस्था लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है और इसका गति पकड़ना विकसित भारत के सपने को और मजबूत करता है।
फोकस में नहीं होनी चाहिए हार की निराशा
पीएम ने कहा कि हार की निराशा फोकस में नहीं होनी चाहिए और यह जीत के जश्न में भी नहीं बदलनी चाहिए। जनप्रतिनिधि के तौर पर हमें देशवासियों की जिम्मेदारी और उम्मीदों को बैलेंस के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। यह मुश्किल काम है, लेकिन हमें यह करना चाहिए।
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