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75 के हुए आरएसएस चीफ : पीएम मोदी ने दी जन्मदिन की बधाई, तारीफ में पढ़े कसीदे, परिवार के साथ संबंधों का भी किया जिक्र

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Author : admin

पब्लिश्ड : 11-09-2025 11:03 AM

अपडेटेड : 11-09-2025 05:52 AM

नई दिल्ली। आरएसएस चीफ मोहन भागवत का आज 75वां जन्मदिन है। इस खास मौके पर तमाम हस्तियों ने उन्हें जन्म दिन की बधाई दी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी संघ प्रमुख को जन्म दिन की शुभकामनाएं दी है। साथ ही सोशल मीडिया में एक पोस्ट शेयर की उनकी प्रशंसा भी की।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, मोहन भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र से प्रेरित होकर समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन के विशेष अवसर पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व को लेकर अपनी भावनाएं रखी हैं। मैं उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग से जुड़ा एक लिंक भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने मोहन भागवत के लिए कई बातों का जिक्र किया।

11 सितंबर का दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा

उन्होंने लिखा, आज 11 सितंबर है। यह दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्वबंधुत्व का संदेश दिया और दूसरी स्मृति है 9ध्11 का आतंकी हमला, जब विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। आज के दिन की एक और विशेष बात है। आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है, जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। संघ परिवार में जिन्हें परम पूजनीय सरसंघचालक के रूप में श्रद्धाभाव से संबोधित किया जाता है, ऐसे आदरणीय मोहन भागवत का आज जन्मदिन है। उन्होंने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि इसी साल संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। मैं मोहन भागवत को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।

पीएम मोदी ने भागवत के परिवार के साथ रिश्तों का भी किया जिक्र

पीएम मोदी ने लिखा, मेरा मोहन भागवत जी के परिवार से बहुत गहरा संबंध रहा है। मुझे उनके पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था। मैंने अपनी पुस्तक ज्योतिपुंज में मधुकरराव के बारे में विस्तार से लिखा भी है। वकालत के साथ-साथ मधुकरराव जीवनभर राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित रहे। अपनी युवावस्था में उन्होंने लंबा समय गुजरात में बिताया और संघ कार्य की मजबूत नींव रखी। मधुकरराव का राष्ट्र निर्माण के प्रति झुकाव इतना प्रबल था कि अपने पुत्र मोहनराव को भी इस महान कार्य के लिए निरंतर गढ़ते रहे। एक पारसमणि मधुकरराव ने मोहनराव के रूप में एक और पारसमणि तैयार कर दी।

उन्होंने लिखा, ष्भागवत जी का पूरा जीवन सतत प्रेरणा देने वाला रहा है। वे 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने। सामान्य जीवन में प्रचारक शब्द सुनकर ये भ्रम हो जाता है कि कोई प्रचार करने वाला व्यक्ति होगा, लेकिन जो संघ को जानते हैं, उनको पता है कि प्रचारक परंपरा संघ कार्य की विशेषता है। गत 100 वर्षों में देशभक्ति की प्रेरणा से भरे हजारों युवक-युवतियों ने अपना घर-परिवार त्याग करके पूरा जीवन संघ परिवार के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया है। भागवत जी भी उस महान परंपरा की मजबूत धुरी हैं।ष्

संघ प्रमुख ने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को सर्वोपरि रखा

पीएम मोदी ने लिखा, मोहन भागवत ने उस समय प्रचारक का दायित्व संभाला, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर इमरजेंसी थोप दी थी। उस दौर में प्रचारक के रूप में उन्होंने आपातकाल-विरोधी आंदोलन को निरंतर मजबूती दी। उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, विशेषकर विदर्भ में काम किया। 1990 के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहन भागवत के कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक स्नेहपूर्वक याद करते हैं। इसी कालखंड में मोहन भागवत ने बिहार के गांवों में अपने जीवन के अमूल्य वर्ष बिताए और समाज को सशक्त करने के कार्य में समर्पित रहे। वर्ष 2000 में वे सरकार्यवाह बने और यहां भी मोहन भागवत ने अपनी अनोखी कार्यशैली से हर कठिन परिस्थिति को सहजता और सटीकता से संभाला। 2009 में वे सरसंघचालक बने और आज भी अत्यंत ऊर्जा के साथ कार्य कर रहे हैं। भागवत जी ने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा।

सरसंघचालक होना मात्र एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं

उन्होंने लिखा, सरसंघचालक होना मात्र एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है। यह एक पवित्र विश्वास है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी दूरदर्शी व्यक्तित्वों ने आगे बढ़ाया है और इस राष्ट्र के नैतिक और सांस्कृतिक पथ को दिशा दी है। असाधारण व्यक्तियों ने इस भूमिका को व्यक्तिगत त्याग, उद्देश्य की स्पष्टता और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण के साथ निभाया है। यह गर्व की बात है कि मोहन भागवत ने न केवल इस विशाल जिम्मेदारी के साथ पूर्ण न्याय किया है, बल्कि इसमें अपनी व्यक्तिगत शक्ति, बौद्धिक गहराई और सहृदय नेतृत्व भी जोड़ा है।

संघ परिवार के आंदोलनों में ऊर्जा भरने का किया काम

उन्होंने आगे लिखा, पिछले दिनों देश में जितने सफल जन-आंदोलन हुए, चाहे स्वच्छ भारत मिशन हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मोहन भागवत ने पूरे संघ परिवार को इन आंदोलनों में ऊर्जा भरने के लिए प्रेरित किया। मैं पर्यावरण से जुड़े प्रयासों और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को आगे बढ़ाने के प्रति उनके समर्पण को जानता हूं। मोहन जी का बहुत जोर आत्मनिर्भर भारत पर भी है। कुछ ही दिनों में विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष का हो जाएगा। यह भी सुखद संयोग है कि विजयादशमी का पर्व, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री की जयंती और संघ का शताब्दी वर्ष एक ही दिन आ रहे हैं।

संघ कार्य का निरंतर हो रहा विस्तार

उन्होंने कहा कि यह भारत और विश्वभर के लाखों स्वयंसेवकों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। हम स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमारे पास मोहन भागवत जी जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक हैं, जो ऐसे समय में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं। एक युवा स्वयंसेवक से लेकर सरसंघचालक तक की उनकी जीवन यात्रा उनकी निष्ठा और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है। विचार के प्रति पूर्ण समर्पण और व्यवस्थाओं में समयानुकूल परिवर्तन करते हुए उनके नेतृत्व में संघ कार्य का निरंतर विस्तार हो रहा है।

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