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नकरात्मकता से नहीं चलता देश : शीत सत्र से पहले विपक्ष को पीएम मोदी का सख्त संदेश, सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए

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Author : admin

Published : 01-Dec-2025 11:32 AM

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार से हो गई है। 19 दिसंबर तक तक चलने वाला यह सत्र भी हंगामेदार रहने के आसार हैं। विपक्ष एसआईआर जैसे मसलों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। हालांकि शीत सत्र की शुरुआत से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष का सख्त संदेश दे दिया है।

पीएम मोदी ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए साफ कहा कि संसद परिसर में ड्रामा करने की बहुत जगहें बाहर हैं, लेकिन सदन में हंगामे की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन में ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों, खासकर विपक्ष से अपील की कि वे सत्र को सुचारू और गरिमामय तरीके से चलाने में सहयोग दें।

संसद देश की आशाओं और अपेक्षाओं का केन्द्र

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद देश की आशाओं और अपेक्षाओं का केंद्र है। ऐसे में यहां नारेबाजी नहीं, बल्कि नीतियों पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति पर जोर देना चाहिए और इसके लिए नीयत होनी चाहिए। उन्होंने ने कहा कि चुनावी पराजय की निराशा से निकलना चाहिए और रचनात्मक चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए। कुछ राजनीतिक दल अभी भी बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन संसद निराशा का मैदान नहीं बननी चाहिए।

नकारात्मकता से नहीं होता देश निर्माण

प्रधानमंत्री ने कहा, सत्र किसी पक्ष की निराशा या किसी की विजय के अहंकार का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए। नकारात्मकता से देश निर्माण नहीं होता। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने युवा सांसदों को अधिक अवसर देने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नए सदस्यों के अनुभव और उनकी नई सोच से देश को फायदा होना चाहिए। हमारी युवा पीढ़ी जो नई दृष्टि लाती है, उससे सदन भी लाभान्वित होना चाहिए और उसके माध्यम से देश को भी नए विचार मिलने चाहिए।

ड्रामा की जगह नहीं सदन

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि सदन ड्रामा की जगह नहीं है। यह काम करने की जगह है। हमें जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करना होगा। पीएम मोदी ने सभी दलों को संदेश देते हुए कहा, मेरी सभी दलों से अपील है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट मैदान नहीं बननी चाहिए और यह सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। इससे पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को उम्मीद जताई कि संसद के सभी सदस्य लोकतंत्र की परंपराओं को मजबूत करने और शीतकालीन सत्र को श्प्रोडक्टिवश् बनाने के लिए सार्थक योगदान देंगे।

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