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गणेश साकल्ले, भोपाल।
क्या वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह कांग्रेस आलाकमान को ब्लैकमेल कर रहे हैं? क्यों वे आरएसएस की तारीफ कर रहे हैं? क्या उनका कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया है, या फिर वे कमलनाथ की तर्ज पर कांग्रेस आलाकमान का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं? ये सारे सवाल राजनीतिक गलियारों में पहेली बने हुए हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो लगभग 75 वर्ष की उम्र में भी चुस्त-दुरुस्त दिग्गी राजा की हसरत एक बार फिर से राज्यसभा में जाने की है। यह सारी कवायद शायद इसीलिए हो रही है।
जो दिग्विजय सिंह अक्सर आरएसएस को निशाने पर लेते आए हैं। उनका अचानक हदय परिवर्तन कैसे हो गया और उन्होंने आरएसएस के संगठन क्षमता की तारीफ कैसे कर दी। वैसे भी दिग्गी राजा कोई भी बयान ऐसे ही नहीं देते हैं। वे बहुत सोच समझकर और सधी हुई प्रतिक्रिया देते हैं। फिर भले ही उनके विरोधी इसे कांग्रेस के खिलाफ मानें या बहुसंख्यक वोटों के छिटकने का सबब समझें। मगर उनके इस बयान को अगले वर्ष होने वाले राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। अगले साल रिक्त होने वाली इस सीट पर कमलनाथ की भी नजरे गड़ी हैं। लिहाजा इन दो में से एक ही नेता इस सीट से राज्यसभा पहुंच सकता है। ऐसे में बड़े भाई कमलनाथ और छोटे भाई दिग्विजय सिंह के बीच मप्र से होकर दिल्ली पहुंचने की दौड़ लाजिमी है।
गौरतलब है कि कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलें जब तेज हुई थीं, तब उन्होंने भी ऐसा ही कुछ किया था, उन्होंने केन्द्रीय गृह अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने दिल्ली की दौड़ लगाई थी, तीन-चार दिन वे दिल्ली में ही डेरा डाले रहे और उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई थी, लेकिन ऐन वक्त पर राहुल गांधी ने उनसे टेलीफोन पर बात कर मामले का पटाक्षेप कर दिया था। उस दौरान प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के मानस पुत्र होने का दावा करने वाले कमलनाथ के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की अटकलों से आलाकमान भी विचलित हो गया था। जिसका नाथ ने पूरा फायदा उठाया।
कमोबेश यही खेल शायद दिग्विजय सिंह भी खेल रहे हैं। नाथ की तर्ज पर उन्होंने भी आरएसएस की तारीफ कर हाईकमान का ध्यान अपनी ओर खींचा है, ताकि आलाकमान की ओर से उन्हें पुनः राज्यसभा में जाने का आश्वासन मिल जाए। उन्हें चुप करने के बदले आलाकमान कोई वादा करता है या फिर कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच एक राज्यसभा सीट को लेकर खो-खो का खेल देखने लायक होगा।
खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह ने आरएसएस के संगठनात्मक कौशल की तारीफ क्या की कि उन्हें मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने भाजपा में आने का न्यौता दे डाला। इसे ठुकराते हुए दिग्विजय सिंह सफाई दी की कांग्रेस संगठन में भी सुधार की गुंजाइश है। सिंह ने आगे जोड़ा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरएसएस का विश्व का सबसे बड़ा एनजीओ बताया तब उन्हें यह भी बताना चाहिए था कि आरएसएस एक अपंजीकृत संगठन है, जो देश का प्रधानमंत्री तक तय करता है।
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