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चेन्नई। बच्चों की मौत के मामले में चर्चित कोल्ड कफ सिरप विवाद अब मनी लॉन्ड्रिंग जांच की तरफ बढ़ चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सोमवार को चेन्नई में 7 ठिकानों पर छापेमारी के लिए पहुंची। जिन जगहों पर छापे मारे गए, उनमें सिर्फ एक दवा कंपनी के कार्यालय ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के शीर्ष अधिकारियों के आवास भी शामिल हैं। इस कार्रवाई से सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने छापेमारी की यह कार्रवाई श्रीसन फार्मा नाम की दवा कंपनी से जुड़े मामले में की है, जिसके द्वारा बनाए गए कोल्डरिफ कफ सिरप को पीने से उत्तर भारत के कई राज्यों में 20 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से लिया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कांचीपुरम जिले के सुंगुवरचत्रम स्थित श्रीसन फार्मा कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के बाहर अपनी गाड़ी में इंतजार कर रहा है, क्योंकि कंपनी का परिसर फिलहाल बंद है। ईडी तलाशी लेने आया था, लेकिन कार्यालय बंद है।
जहरीली से मप्र में कई मासूमों की हो चुकी है मौत
अधिकारियों ने कथित तौर पर कंपनी के कर्मचारियों को कार्यालय खोलने के लिए सूचित कर दिया है और वे आगे की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। ईडी इस मामले में कंपनी के मालिक रंगनाथन के चेन्नई के कोडंबक्कम इलाके में स्थित आवास पर भी छापेमारी कर रही है। माना जा रहा है कि यह कंपनी वही कफ सिरप बनाती थी, जिसे पीने से मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में बच्चों की जान गई।
ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारियों को कार्रवाई के दायरे में
छापेमारी की सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि ईडी ने तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारियों को कार्रवाई के दायरे में लिया है। ड्रग कंट्रोल डायरेक्टर डीपा जोसेफ और संयुक्त निदेशक कार्तिकेयन के चेन्नई स्थित आवासों पर भी तलाशी जारी है। इससे संकेत मिलता है कि इस मामले में सरकारी विभागों की मिलीभगत की भी जांच की जा रही है। ईडी के अनुसार, यह पूरी कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से की जा रही है, क्योंकि यह संदेह है कि विषैली दवाओं की बिक्री से अवैध रूप से कमाई गई रकम को छुपाया गया और इस्तेमाल किया गया, जो कि पीएमएलए के तहत गंभीर अपराध है।
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