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हैदराबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हैदराबाद में सफ्रान एयरक्राफ्ट इंजन सर्विसेज इंडिया (एसएईएसआई) फैसिलिटी का वर्चुअली उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इससे एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) के लिए ग्लोबल हब के तौर पर भारत की स्थिति काफी मजबूत होगी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इवेंट में शामिल हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट एविएशन सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया को संदेश दिया है कि देश निवेश और इनोवेशन का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि पीएलआई स्कीम ने ग्लोबल मैन्युफैक्चरर को श्मेक इन इंडियाश् की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीते 11 वर्षों में 40 हजार से अधिक अनुपालनों को कम किया गया है। नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम ने अनेकों अप्रोच को एक ही प्लेटफॉर्म पर ला दिया है। पीएम ने कहा कि आज का भारत केवल बड़े सपने नहीं देख रहा, बड़े फैसले ले रहा है और उनसे भी बढ़कर बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहा है। भारत का फोकस ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर है।
भारत का एविएशन सेक्टर अब भर रहा नई उड़ान
पीएम ने कहा कि आज से भारत का एविएशन सेक्टर एक नई उड़ान भरने जा रहा है। सफ्रान की नई फैसिलिटी भारत को एक ग्लोबल एमआरओ हब के रूप में स्थापित करेगी। हाई टेक और एयरो स्पेस की दुनिया में युवाओं के लिए नए अवसरों को पेश करेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेश और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए स्वतंत्र भारत में कुछ बड़े सुधार किए गए हैं। अर्थव्यवस्था के दरवाजे खोले गए हैं, फंडामेंटल को मजबूत किया गया है और बिजनेस को आसान बनाया गया है।
डिफेंस सेक्टर में पहले प्राइवेट सेक्टर को नहीं थी जगह
पीएम मोदी के अनुसार, डिफेंस जैसे सेक्टर जहां पहले प्राइवेट सेक्टर की जगह नहीं थी वहां भी अब 74 प्रतिशत तक एफडीआई ऑटोमेटिक रूट से संभव हो गया है। स्पेस सेक्टर में बड़ी अप्रोच अपनाई गई है। उन्होंने कहा, भारत के एविएशन सेक्टर में तेजी से विस्तार के चलते मेनटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) की सुविधाओं की जरूरतें बढ़ रही हैं। भारत की एयरलाइन कंपनियों ने 1500 से ज्यादा एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया है।
यह स्थिति भारत जैसे विशाल एविवेशन मार्केट के लिए सही नहीं
उन्होंने बताया कि भारत का 85 प्रतिशत एमआरओ का काम देश की सीमाओं के बाहर हो रहा था। जिससे खर्च बढ़ता था, समय भी अधिक लगता था और एयरक्राफ्ट लंबे समय तक ग्राउंडेड रहते थे। यह स्थिति भारत जैसे विशाल एविएशन मार्केट के लिए सही नहीं थी। इसलिए भारत सरकार दुनिया के एक बड़े एमआरओ केंद्र को तैयार कर रही है।
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