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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के उस मामले में कड़ा रुख अपनाया, जिसमें बीआरएस से कांग्रेस में गए 10 विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने तेलंगाना विधानसभा स्पीकर को चेतावनी दी कि अगर एक हफ्ते के अंदर इस याचिका पर फैसला नहीं हुआ तो अदालत इसे कोर्ट की अवमानना मानेगी।
दरअसल, पिछले साल हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव के बाद बीआरएस के 10 विधायकों ने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। इसके बाद बीआरएस ने इन सभी विधायकों के खिलाफ दसवीं अनुसूची (दल-बदल कानून) के तहत अयोग्य ठहराने की अर्जी स्पीकर के सामने रखी थी, लेकिन, एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद स्पीकर ने कोई फैसला नहीं लिया।
स्पीकर के रवैये पर जताया रोष
इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को स्पीकर को साफ निर्देश दिया था कि तीन महीने के अंदर यानी अक्टूबर अंत तक इस मामले का निपटारा करें। जब सोमवार को मामले की सुनवाई हुई तो स्पीकर की ओर से अभी तक कोई फैसला न होने की जानकारी दी गई। इस पर सीजेआई ने रोष जताया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “या तो स्पीकर एक हफ्ते में फैसला ले लें या फिर खुद तय कर लें कि नया साल (2026) वह कहां बिताना चाहते हैं।” कोर्ट का इशारा साफ था कि देरी जारी रही तो अवमानना की कार्रवाई हो सकती है और स्पीकर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
जानबूझकर फैसला टाल रहे स्पीकर
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि स्पीकर जानबूझकर फैसला टाल रहे हैं ताकि सत्ता पक्ष को फायदा पहुंचे। बेंच में मौजूद जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल ने भी स्पीकर के रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पीकर को अगली सुनवाई तक यानी एक हफ्ते में अंतिम फैसला लेने का आखिरी मौका दिया है।
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