Latest News

गांधीनगर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आयोजित अर्थ समिट 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दुनिया में सतत विकास का नया आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, पशुपालन और सहकारिता को भारत की आर्थिक रीढ़ बताते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में देश का विकास मॉडल इन्हीं आधारों पर खड़ा होगा।
अमित शाह ने भाषण की शुरुआत में कहा कि देश में हो रही तीन प्रमुख अर्थ समितियों में से यह एक है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। उन्होंने याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने 1930 में कहा था कि भारत का विकास गांवों के बिना संभव नहीं, लेकिन आजादी के बाद यह मंत्र भुला दिया गया। 2014 के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने गांधी जी के विचारों को पुनर्जीवित किया और ग्रामीण विकास को केंद्र में रखा।
अमित शाह ने आंकड़ों के साथ बताया कि वर्ष 2014 में ग्रामीण विकास, कृषि और सहकारिता मंत्रालयों का संयुक्त बजट 1.02 लाख करोड़ रुपए था। वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 3.15 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यदि पशुपालन विभाग को जोड़ दें तो यह बढ़ोतरी 3.75 गुना तक पहुंचती है। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र को देश के विकास का मूल आधार माना और वित्तीय रूप से इसे मजबूत किया।
अमित शाह ने कहा कि भारत ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर यह लक्ष्य रखा है कि 2047 तक देश हर क्षेत्र में अग्रणी होगा। इसके लिए सहकारिता को मुख्य आधार माना गया है। सरकार के तीन बड़े लक्ष्य हैं, जिनमें हर पंचायत में एक नई सहकारी संस्था का निर्माण, 50 करोड़ सक्रिय सहकारी सदस्य और जीडीपी में सहकारिता का योगदान तीन गुना बढ़ाना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इससे हर नागरिक (किसान, पशुपालक, महिला, छोटे ग्रामीण कारोबारी) सभी सम्मानपूर्वक देश की अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकेंगे।
अमित शाह ने नाबार्ड की नई पहल श्लहकार साथीश् की विशेष सराहना की। इसमें 13 से अधिक डिजिटल सेवाएं लॉन्च की गई हैं, जिनमें कलेक्शन सारथी, क्रॉस सेल सारथी, लोन सारथी, योजना संवर्धन, वेबसाइट सारथी और डेटा स्टोरेज समाधान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि छोटी ग्रामीण सहकारी समितियां अब बिना खर्च के तकनीक अपनाकर तेज और पारदर्शी सेवाएं दे सकेंगी। अमित शाह ने बताया कि दो साल की तैयारी के बाद सहकारिता मंत्रालय और आरबीआआई मिलकर देश के सभी जिला बैंक, राज्य सहकारी बैंक, कृषि बैंक और शहरी सहकारी बैंक को एक व्यापक और एकीकृत ढांचे के तहत जोड़ने जा रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि इससे ग्रामीण बैंकिंग का स्तर निजी बैंकों के बराबर हो जाएगा और करोड़ों किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने गुजरात के बनासकांठा और पंचमहल में चल रहे सहकारिताओं के बीच सहयोग मॉडल का उल्लेख किया, जहां सभी सहकारी संस्थाएं अपना बैंक खाता सहकारी बैंक में ही रखती हैं। इससे हजारों करोड़ रुपये की लो-कॉस्ट डिपोजिट बनीं और वित्तीय विस्तार की विशाल क्षमता तैयार हुई। अब यही मॉडल पूरे गुजरात और फिर पूरे देश में लागू किया जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि बनास डेयरी ने देश में डेयरी आधारित सर्कुलर इकोनॉमी का पूरा मॉडल तैयार कर लिया है। गोबर से गैस, गैस का उपयोग, डेयरी मशीनरी सब कुछ अब भारत में बन रहा है। उन्होंने कहा कि इससे किसान की आय बढ़ेगी और देश डेयरी तकनीक में पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा।
Advertisement

Related Post