Download App

Latest News

आरएसएस चीफ ने संघ को बताया विश्व का अनोखा संगठन : बेंगलुरू में बोले- भारत समेत कई देशों में कर रहा समाजसेवी कार्यपीएफआई-एसडीपीआई की 67.03 करोड़ की संपत्तियां कुर्क : ईडी का बड़ा एक्शन, इनके नाम पर दर्ज थीं सभी प्रापर्टीराहुल के मप्र दौरे पर सीएम का जोरदार हमला : चुनावी सभा में मोहन बोले- इंडी की हार सुनिश्चित, इसलिए घूम रहे पचमढ़ी की वादियों मेंतीन युवकों ने 14 साल की युवती से किया सामूहिक दुष्कर्म : मऊगंज में गैंगरेप का शर्मनाक मामलाः स्कूल में मिली बेसुध, स्वास्थ्य विभाग ने भी नहीं दिखाई मानवीयतापहले चरण में लालू-राहुल का सूपड़ा हुआ साफ : शाह की हुंकार- बिहार में 160 से ज्यादा सीटें जीतकर एनडीए बनाएगा सरकारएसआईआर को लेकर मप्र में सियासी घमासानः : मप्र कांग्रेस के दिग्गजों ने सरकार को लिया निशाने पर, दिग्गी ने लगाए गंभीर आरोप, जीतू भी बोलेबिहार के शिक्षित युवाओं को नहीं मिल रहा रोजगार : एनडीए पर प्रियंका का हमला, पीएम और छोटे दलों पर भी किया वारप्रेग्नेंसी में महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं ये आसन : कई समस्याओं से दिलाता है निजात अनुपम खेर के वीडियो ने जीता फैंस का दिल : दुलारी देवी पर लगा यह गंभीर का इल्जाम, अभिनेता की मां ने दिया बेगुनाही का सबूतसंसद का शीत सत्र 1 दिसंबर से : राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, 19 दिनों तक होंगे जतना के हित में काम, इन मुद्दों को लेकर विपक्ष फिर कर सकता है हंगामा

न्याय भले ही देर से मिले, पर अंधेर नहीं : ऐसा ही देखने को मिला छग हाईकोर्ट में, जानें क्या है पूरा मामला

Featured Image

Author : admin

पब्लिश्ड : 19-09-2025 03:44 PM

अपडेटेड : 19-09-2025 10:14 AM

रायपुर। 1986 में रुके हुए बिल भुगतान के लिए कर्मचारी से 100 रुपए रिश्वत लेने के आरोपी को छत्तीसगढ हाईकोर्ट ने 39 साल बाद बरी कर दिया है। कोर्ट ने निचली अदालत से सुनाई गई सजा को निरस्त मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम में बिल असिस्टेंट रहे जगेश्वर प्रसाद अवस्थी को बाइज्जत बरी किया। बता दें कि 100 रुपए की रिश्वत लेने के मामले में निचली अदालत ने अवस्थी को दोषी ठहराया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें आखिरकार राहत मिल गई। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिश्वत मांगने पक्के सबूत नहीं मिले हैं, ऐसे में आरोपी को बरी किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले से यह भी सिद्ध हो गया न्याय भले ही देर से मिले लेकिन अंधेर नहीं।

वित्त विभाग में बिल सहायक के पद पर कार्यरत थे अवस्थाी

उल्लेखनीय है कि अपीलकर्ता रायपुर निवासी रामेश्वर प्रसाद अवस्थी एमपीएसआरटीसी रायपुर के वित्त विभाग में बिल सहायक के पद में कार्यरत थे। शिकायतकर्ता अशोक कुमार वर्मा ने वर्ष 1981 से 1985 के दौरान सेवाकाल के बकाया बिल भुगतान के लिए अपीलकर्ता रामेश्वर प्रसाद से संपर्क किया. उसने सेवाकाल के बकाया बिल भुगतान के लिए 100 रुपए की मांग की। जिसके बाद अशोक कुमार ने इसकी शिकायत कर दी. जिसके बाद तब के लोकायुक्त ने ट्रैप बिछाया और फिनॉल्फ्थेलीन पाउडर लगे नोटों के साथ उन्हें पकड़ लिया गया. साल 2004 में निचली अदालत ने उन्हें एक साल की जेल की सजा सुना दी थी।

साक्ष्य पेश करने में विफल रहा अभियोजन पक्ष

इस सजा के खिलाफ जगेश्वर प्रसाद अवस्थी हाईकोर्ट चले गए। इस मामले में चली लंबी सुनवाई के बाद अब जस्टिस बिभु दत्ता गुरु ने निचली अदालत के फैसले को पूरी तरह से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, अभियोजन पक्ष अपने साक्ष्य भार का निर्वहन करने में विफल रहा है। साक्ष्य, चाहे मौखिक हों, दस्तावेजी हों, या परिस्थितिजन्य हों, रिश्वतखोरी के कथित अपराध के आवश्यक तत्वों को स्थापित करने में विफल रहता है. इसलिए, निचली अदालत द्वारा दर्ज दोषसिद्धी अस्थाई है, इसके साथ ही कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए दोषसिद्धी और सजा को रद्द किया है।

अवस्थी का यह पक्ष भी रहा मजबूत

अवस्थी का पक्ष यह भी था कि तब उनके पास तो बिल पास करने का अधिकार ही नहीं था। वह अधिकार उन्हें रिश्वत मांगने की कथित तारीख के एक महीने बाद मिला था। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि केवल जेब से रंगे हुए नोट मिल जाना ही सजा के लिए काफी नहीं है। रिश्वत मांगने का इरादा और उसका पक्का सबूत होना बहुत जरूरी है। बहरहाल 39 साल की लंबी कानूनी माथापच्ची के बाद अवस्थी अब हर आरोप से आजाद हैं।

Powered by Tomorrow.io

Advertisement

Ad

Related Post

Placeholder