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भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े यूनियन कार्बाइड (यूका) फैक्ट्री के जहरीले कचरे की राख के सुरक्षित निपटान के मामले में राज्य सरकार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट की संयुक्त बेंच ने स्पष्ट आदेश दिया है कि इस जहरीली राख को धार जिले के पीथमपुर में स्थित फैक्ट्री परिसर के अंदर ही दफन किया जाए।
फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले कोर्ट ने इस राख को आबादी से दूर किसी अन्य स्थान पर दफनाने का आदेश दिया था, जिसे अब बदल दिया गया है, जिससे कचरा निपटान की प्रक्रिया को गति मिलेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह विनष्टीकरण की कार्रवाई पूरी कर दो माह बाद कोर्ट में रिपोर्ट पेश करे। मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह और अजय कुमार निरंकारी की संयुक्त पीठ द्वारा की गई। इस नए आदेश के माध्यम से, बेंच ने 8 अक्टूबर को जस्टिस श्रीधरन की एकल बेंच द्वारा दिए गए उस आदेश को शिथिल (कम प्रभावी) कर दिया। इसमें कहा गया था कि जहरीली राख को आबादी से दूर किसी नए और सुरक्षित स्थान पर दफन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अब पीथमपुर फैक्ट्री परिसर में ही विनष्टीकरण को स्वीकार कर लिया है।
पीथमपुर में कचरा विनष्टीकरण का था आदेश
यह मामला लंबे समय से न्यायिक प्रक्रिया में है। हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने पहले आदेश दिया था कि जहरीले कचरे के विनष्टीकरण के संबंध में सभी संबंधित विभाग एक सप्ताह के भीतर आवश्यक अनुमतियां प्रदान करें। उस आदेश में कहा गया था कि यूका फैक्ट्री परिसर के कचरे को धार जिले के पीथमपुर ले जाया जाए और वहां उसका विनष्टीकरण किया जाए। मौजूदा आदेश उसी विनष्टीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, लेकिन कचरे की राख को दफनाने की जगह पर स्पष्टता देता है।
दो माह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दो माह बाद निर्धारित की है। बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह 3 दिसंबर 2024 के पूर्व चीफ जस्टिस की बेंच के आदेश के तहत निर्धारित कार्रवाई को पूरा करे और उस संबंध में कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करे।
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