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बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में बुधवार को माओवादियों को करारा झटका लगा। कुल 41 माओवादी कैडरों ने हथियार डाल दिए और समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इन पर कुल 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम था। इनमें 12 महिलाएं और 29 पुरुष हैं।
सरेंडर करने वालों में कई बड़े नाम
आत्मसमर्पण करने वालों में कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें पीएलजीए बटालियन-1 के 5 सदस्य, 3 एरिया कमेटी मेंबर, कई प्लाटून कमांडर, मिलिशिया कमांडर और जनताना सरकार के पदाधिकारी हैं। ज्यादातर (39) दक्षिण सब-जोनल ब्यूरो के हैं, जबकि कुछ तेलंगाना स्टेट कमेटी और धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ डिवीजन से भी हैं। सबसे बड़े इनामी कैडरों में पति-पत्नी पंडरू हपका उर्फ मोहन और बंडी हपका शामिल हैं, दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसी तरह लक्खू कोरसा, बदरू पुनेम, सुखराम हेमला और मंजूला हेमला जैसे नामी कैडर भी सरेंडर करने वालों में हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों ने संविधान के प्रति जताया विश्वास
पुलिस के मुताबिक, यह सफलता छत्तीसगढ़ सरकार की “पूना मारगेम रू पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति और “नियद नेल्ला नार” योजना का नतीजा है। सुरक्षा बलों के लगातार दबाव, स्थानीय लोगों का सहयोग और परिवार वालों की अपील ने इन कैडरों को हथियार छोड़ने के लिए मजबूर किया। आत्मसमर्पण करने वालों ने भारतीय संविधान में पूरा विश्वास जताया और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया। सरकार की नीति के तहत हर सरेंडर करने वाले को तुरंत 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके बाद पुनर्वास के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी।
अब तक 560 माओवादी लौट चुके हैं मुख्यधारा में
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि इस साल (1 जनवरी 2025 से अब तक) जिले में 560 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं, 528 गिरफ्तार हुए और 144 अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए। साल 2024 से अब तक के आंकड़े और भी चैंकाने वाले हैं, 790 सरेंडर, 1031 गिरफ्तारियां और 202 माओवादी मारे गए।
आत्मसमर्पण करने वालों ने डीआईजी के सामने डाले हथियार
आत्मसमर्पण करने वालों ने डीआईजी केरिपु सेक्टर बी.एस. नेगी, एसपी डॉ. जितेंद्र यादव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हथियार डाले। डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ और कोबरा की कई बटालियनों ने इस अभियान में अहम भूमिका निभाई।
एसपी ने बाकी माओवादियों से की अपील
एसपी डॉ. यादव ने बाकी माओवादियों से अपील की, “आपके परिजन और गांव वाले चाहते हैं कि आप सामान्य जीवन जियें। हिंसा का रास्ता छोड़ दें। सरकार की पुनर्वास नीति आपके और आपके परिवार के भविष्य को सुरक्षित बनाएगी।” बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने इसे शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया। उनका कहना है कि दक्षिण बस्तर में अब हिंसा की जगह संवाद और विकास की नई कहानी लिखी जा रही है।
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