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नई दिल्ली। संचार साथी ऐप को लेकर संसद का माहौल गरमाया हुआ है। शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को संचार सुरक्षा और बढ़ते डिजिटल खतरों को लेकर विपक्ष ने सरकार से सवाल किए। जिसका केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विस्तृत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दूरसंचार का क्षेत्र आज देश को दुनिया से जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। इसके 100 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को डिजिटल अपराधों और दुरुपयोग से सुरक्षित रखे।
संचार मंत्री ने कहा कि आज मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे तत्व भी सक्रिय हैं जो इसका दुरुपयोग कर लोगों को ठगी, धोखाधड़ी और साइबर अपराधों का शिकार बनाते हैं। सरकार का दायित्व है कि हर नागरिक को इन खतरों से बचाया जाए।
ऐप का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा देना
सिंधिया ने बताया कि सरकार ने 2023 में संचार साथी पोर्टल की शुरुआत की थी और 2025 में संचार साथी ऐप लॉन्च किया गया। इन दोनों का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा का अधिकार देना है। इस ऐप के माध्यम से हर नागरिक न केवल अपने आपको सुरक्षित रख सकता है, बल्कि चोरी हुए फोन की रिपोर्टिंग भी कर सकता है। इससे अपराध रोकने और मोबाइल नेटवर्क को सुरक्षित बनाने में बड़ी मदद मिली है।
पोर्टल को अब तक मिले 20 करोड़ हिट
मंत्री ने बताया कि पोर्टल को अब तक 20 करोड़ हिट मिले हैं और ऐप 1.5 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है। उन्होंने कहा, सरकार ने सॉफ्टवेयर बनाया, लेकिन इसकी सफलता का श्रेय जनता को जाता है. क्योंकि जनता के उपयोग और रिपोर्ट करने के कारण ही यह प्लेटफॉर्म सफल हुआ है।
सिंधिया ने ऐप और पोर्टल के जरिए मिली बड़ी उपलब्धियों का किया जिक्र
सिंधिया ने ऐप और पोर्टल के जरिए मिली बड़ी उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि 1.5 करोड़ फ्रॉड मोबाइल कनेक्शन देशभर में डिसकनेक्ट किए जा चुके हैं। 26 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन ट्रेस किए गए। 7 लाख फोन उनके असली मालिकों को वापस किए गए। 41 लाख मोबाइल कनेक्शन संदिग्ध गतिविधियों के कारण बंद किए गए। 6 लाख साइबर फ्रॉड नंबर ब्लॉक किए गए।
सिंधिया ने स्पष्ट किया कि यह ऐप किसी पर थोपने का माध्यम नहीं है, बल्कि नागरिक की सुरक्षा के लिए उपलब्ध विकल्प है। जब तक उपभोक्ता खुद ऐप में रजिस्टर नहीं करेगा, यह सक्रिय नहीं होगा। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता अपनी इच्छा से ऐप डाउनलोड कर सकता है या हटा भी सकता है। लोकतंत्र में यह पूर्ण अधिकार नागरिक का है।
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